ईद का त्यौहार एक समय होता है जश्न, परिवार और दिल को छूने वाले लम्हों का, और इस साल का खास एपिसोड “मज़ाक रात” ने इन सभी तत्वों को एक साथ लाया, जिसमें हानिया आमिर की मौजूदगी ने चार चाँद लगा दिए। हानिया, जो अपनी जीवंत ऊर्जा और स्पष्टवादिता के लिए जानी जाती हैं, ने इस लेट-नाइट कॉमेडी शो में अपनी यात्रा के बारे में दिलचस्प बातें साझा कीं, जिसमें उन्होंने अपनी फिल्म इंडस्ट्री में शुरुआत, व्यक्तिगत कहानियां और प्यार और सफलता पर अपने विचार भी साझा किए।
हानिया का प्रसिद्धि की ओर बढ़ने का सफर संयोग और असली टैलेंट का मिलाजुला उदाहरण है। जब उनसे पूछा गया कि डब्स्मैश वीडियो से लेकर सिल्वर स्क्रीन तक का सफर कैसे तय किया, तो हानिया ने कहा, “मुझे मेरी पहली फिल्म मिलना आसान था क्योंकि तब मैं सिर्फ 18 साल की थी। उस उम्र में आप कुछ खास नहीं समझते, सब कुछ रोमांचक लगता है, तो बस आप बहाव में बहते जाते हैं।” उनकी प्राकृतिक आकर्षण और बिना हिचक के डब्स्मैश वीडियो ने प्रोड्यूसर्स का ध्यान खींचा और इस तरह उन्हें पहली फिल्म जनान का ऑफर मिला।
नम्र शुरुआत
हानिया ने पहले फिल्म का ऑफर मिलने का पल याद करते हुए कहा, “जब मुझे प्रोड्यूसर्स से कॉल आया था, तो मैं अपने कमरे में थी। मैं बाहर गई और अपनी माँ और दोस्त को बताया। मैंने कहा, ‘मुझे लगता है कि मुझे फिल्म का ऑफर मिला है’ और वे सब हंस पड़े। तो मैंने सोचा कि यह शायद कोई बड़ा रोल नहीं होगा, बस बैकग्राउंड में कुछ होगा, तो उन्होंने कहा, ‘ठीक है’। मैं तब अब्बटाबाद में थी।” यह पल हानिया की इंडस्ट्री में सरल और बिना किसी अति विचार के एंट्री का प्रतीक था।
जब होस्ट इमरान अशरफ, जो हानिया के साथ स्कूल में पढ़े थे, ने उनके अब्बटाबाद के स्कूल के दिनों का जिक्र किया, तो बातचीत थोड़ी पुरानी यादों में बदल गई। इमरान ने हंसते हुए पूछा, “क्या यही वही अब्बटाबाद है?” और फिर दोनों ने साझा किया कि वे एक ही स्कूल में पढ़े थे, हानिया इमरान से जूनियर थीं।
प्यार और दुःख के बारे में
तेजी से स्टार बनने के बावजूद, हानिया अपने आप को जमीन से जुड़ी हुई मानती हैं। जब उनसे पूछा गया कि उन्हें कब महसूस हुआ कि वह सच में प्रसिद्ध हो गईं, तो उन्होंने सादगी से जवाब दिया, “कभी नहीं।” यह विनम्रता उनके करियर और व्यक्तिगत जीवन दोनों में परिलक्षित होती है।
हानिया ने ईद के अनुभव के बारे में बताते हुए खुशी से कहा, “मैंने इसे अपने परिवार के साथ बिताया। मेरी बहन और मैं, हम सुबह-सुबह तैयार हो जाते हैं, फिर अपनी माँ को ग्रीट करते हैं। हमें ईदी मिलती है और फिर हम जो खाना चाहेंगे उसकी रिक्वेस्ट करते हैं। मेरी बहन को मीठे पकवानों का शौक है, जबकि मुझे बिरयानी वगैरह पसंद है।” उनके इस वर्णन ने एक आम पाकिस्तानी परिवार की तस्वीर खींची, जो पारंपरिक रिवाजों और स्वादिष्ट खाने के माध्यम से एक साथ जुड़ता है।
सफलता का राज
जब उनसे पूछा गया कि अगर उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में कुछ बदलने का सुपरपावर मिलता, तो वह क्या बदलना चाहेंगी, हानिया ने सरलता से कहा, “अगर सब लोग शालीनता से काम करें, बिना किसी क्रूरता के। बहुत से तरीके हैं किसी को कुछ सिखाने के, लेकिन कभी-कभी आप जो बातें कहते हैं, वे लोगों को चोट पहुँचाती हैं। मैं यही चाहूंगी कि अगर ऐसा सुपरपावर हो, तो जो जरूरी बातें हैं, उन्हें इज्जत और ध्यान से कहा जाए, किसी को नीचे गिराने की जरूरत नहीं हो।”
उनकी सफलता का मंत्र भी बहुत सरल था, “कोई फॉर्मूला नहीं है। बस अपने काम पर ध्यान दो। तुम कहां जाना चाहते हो, क्या करना चाहते हो, उस पर ध्यान दो। अगर कोई जीवन में अच्छा कर रहा है, तो उसके लिए खुश रहो, जलन मत करो। जब तुम खुद पर काम करते हो, तो तुम आगे बढ़ते हो। दिल साफ रखो, अच्छे इरादे रखो और खुद पर मेहनत करो।”
हानिया का शोबिज में सफर
मुझे क्या लगता है, इस सफर पर हानिया का नजरिया बहुत सटीक और दिल से है। यह सच्चाई हमें प्रेरित करती है कि हम खुद पर विश्वास रखें, और किसी भी कठिनाई में धैर्य और समझदारी से काम लें।